जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1969 के प्रवृत्त होने के पश्चात् देश में जन्म-मृत्यु तथा मृत-जन्म का रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य हो गया है। अधिनियम के अन्तर्गत केन्द्र तथा राज्य स्तर पर विभिन्न पदाधिकारियों का प्राविधान किया गया है।
भारत के महारजिस्ट्रार की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा अधिनियम के अन्तर्गत की जाती है
तथा वे राज्यों तथा संघ राज्य क्षेत्रों में जन्मों और मृत्यओं के रजिस्ट्रीकरण और अधिनियम की कार्य विधि से सम्बन्धित मामलों में निर्देशन एवं मार्ग दर्शन करने वाले केन्द्रीय पदाधिकारी हैं।
उन्हें विभिन्न राज्यों में अधिनियम की कार्य विधि के सम्बन्ध में केन्द्रीय सरकार को एक वार्षिक रिपोट प्रस्तुत करनी होती है।
अधिनियम के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति मुख्य रजिस्ट्रार अपने राज्य में अधिनियम के अन्तर्गत बनाये गये नियमों के प्राविधानों को लागू करने वाले मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी तथा जन्म-मृत्यु आकड़ों के संकलन तथा सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार करने के उत्तरदायी है।
अधिनियम के प्राविधानों के क्रियान्वयन हेतु महारजिस्ट्रार, भारत सरकार ने केन्द्रीय विधि मंत्रालय के परामर्श से रजिस्ट्रेशन के लिए अपनायी जाने वाली प्रक्रिया तथा प्रपत्रों को सम्मिलित करते हुए वर्ष 1970 में आदर्श नियमावली निर्मित किया।
इस रजिस्ट्रेशन प्रणाली में रजिस्ट्रार के स्तर पर अधिक कागजी कार्यवाही होने के कारण रजिस्ट्रार द्वारा सांख्यिकीय प्रतिवेदन मुख्यालय भेजने पर कार्य प्रभावित होता था।
रजिस्ट्रार की कागजी कार्यवाही को सीमित करने के दृष्टिकोण से रजिस्ट्रेशन प्रणाली तथा प्रपत्रों को संशोधित किया गया है, ताकि आंकड़ों तथा अभिलेखों का अग्रसारण शीघ्रता से होने के कारण प्रणाली सुविधाजनक हो तथा आधुनिक प्राविधिकी का उपयोग हो सके।
इस प्रणाली में सांख्यिकीय मद से विधिक मद को पृथक करते कुछ नये महत्वपूर्ण मद को सम्मिलित करते हुए प्रपत्र को नया स्वरूप प्रदान किया गया है।
इस प्रकार नयें सूचना प्रपत्रों का विधिक भाग पंजीकरण के पश्चात् सम्बन्धित रजिस्टर का भाग होगा तथा सांख्यिकीय भाग आकड़ों के संकलन हेतु राज्य मुख्यालय अग्रसारित किया जाना होगा।
उपरोक्तानुसार उत्तर प्रदेश जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियमावली 1976 के स्थान पर संशोधित उत्तरांचल जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियमावली 2003 निर्मित की गयी है जो कि शासकीय राजपत्र में प्रकाशन के दिनांक 28 अप्रैल, 2003 से प्रदेश में प्रभावी है।
सिविल रजिस्ट्रीकरण प्रणाली को देश की विधिक आवश्यकताओं के अनुरूप किसी आदेश अथवा अधिनियम में परिभाषित तथा उपबंधित जन्म-मृत्यु की घटनाओं और उनके लक्षणों को निरन्तर, स्थायी और अनिवार्य रूप से रिकार्ड करने के रूप मे परिभाषित किया जा सकता है।
यह सामाजिक स्तर एवं व्यक्तिगत हित को सुरक्षा प्रदान करता है। जन्म-मृत्यु के अभिलेख से व्यक्ति विशेष की पहचान, नाम, पारिवारिक सम्बन्ध, जन्म का स्थान आदि की जो सूचना प्राप्त होती है राष्ट्रीयता निर्धारित करने का मुख्य आधार है।
जन्म प्रमाण पत्र की स्कूल में प्रवेश हेतु आयु को प्रमाणित करने, रोजगार प्राप्त करने, ड्राइविंग लाइसेन्स प्राप्त करने, कानूनी संविदा करने, विवाह आदि के लिए सामन्यतः आवश्यकता होती है।
मृत्यु प्रमाण-पत्र उत्तराधिकार सिद्ध करने, उम्पत्ति, बीमा तथा सामाजिक सुरक्षा के लाभों के दावे साबित करने में सामान्यतः आवश्यक होते है।
प्रशासनिक प्रयोजनों में, जन स्वास्थ्य के कार्यक्रम, माता व शिशु की प्रसव के बाद की देखभाल करने तथा टीके एवं प्रतिरक्षण टीके लगाने आदि के कार्यक्रमों के लिए जन्म के रिकार्ड के आधार है।
मृत्यु के रिकार्ड संक्रामक तथा महामारिक रोगों की व्याप्तता और इन्हें रोकने के लिए तत्काल उठाये जाने वाले कदमों के संकेतको के रूप में उपयोगी है।
इसके अतिरिक्त मृत्यु के अभिलेखों के उपयोग चिकित्सीय अनुसंधान, संक्रामक तथा आनुवांशिक अध्ययन के लिए किया जा सकता है।
रिपोर्टिंग फार्म भरते समय फार्म भरने वाले व्यक्ति को निम्न बिन्दु ध्यान में रखने होगें-
1. फार्म विशेषतः उनका विधिक भाग साफ-साफ और स्पष्ट तथा बिना कांट-छांट किये भरे जाये।
इसका कारण यह है कि फार्म का विधिक भाग पंजीकरण प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात् पंजिका का एक भाग बन जायेगा, जो स्थायी रूप से संरक्षित किया जाने वाला वैधानिक दस्तावेज है।
2. इस बात को सुनिश्चित करें कि फार्म कें विधिक भाग में की गई प्रविष्टियां, सांख्यिकीय भाग में न चली जाये क्योंकि ऐसा होने से जब सांख्यिकीय भाग को अलग करके आगे भेजा जायेगा तब अपूरणीय हानि हो जायेगी।
3. इस बात को सुनिश्चित करें कि सूचनादाता का नाम, पता तथा हस्ताक्षर अथवा निशानी अंगूठा सूचना प्रपत्र के विधिक भाग पर अंकित हैं।
4. फार्म भरने हेतु केवल काली या नीली स्याही का प्रयोग करें।
जन्म एवं मृत्यु की पंजीकरण की प्रक्रिया निम्नानुसार है :-
1. किसी भी जन्म एवं मृत्यु होने की सूचना दिनों के भीतर सम्बंधित वार्ड कार्यालयों में निर्धारित फार्म पर देनी होती है,जिसका पंजीकरण वार्ड में तैनात कर्मचारी द्वारा करके उसका प्रमाणपत्र तत्काल जारी किया जाता है।
2. विलम्ब से एक वर्ष के उपरान्त जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण कराने के लिए परगना मजिस्ट्रेट (उपजिलाधिकारी) से आदेशप्राप्त कर रूपये 10/- विलम्ब शुल्क के भुगतान पर जन्म एवं मुत्यु का पंजीकरण मुख्यालय स्वास्थ्य विभाग में किया जाता है।
श्रीमती शीला श्रीवास्तव
(अध्यक्ष)
डॉ सुभ नाथ प्रसाद
(अधिशासी अधिकारी)